बारिश की बूंदें और पुरानी यादें A Diary of Past and Present दोपहर के 2:00 बज रहे थे कि अचानक ठंडी-ठंडी हवाऐं चलने लगी। धीरे - धीरे थोड़ी देर बाद बारिश भी होने लगी। मध्यम-मध्यम ये बारिश देख कर मजा आ गया। कितनी हसीन थी करोना से पहले की दुनिया। ये बारिश ही तो है, अभी जो हमें थोड़ी मनोरंजन करती है, वरना दिन भर मोबाइल में मनोरंजन की चीजें ढूंढ़नी पड़ती है, अब तो इतना मोबाइल भी इस्तेमाल कर लिया है कि आंखों में दर्द होने लगी है। 53 दिन हो गए लाॅक डाउन किए हुए इतने दिनों से घर में रहकर अब मानसिक संतुलन भी खराब होने की कगार में है। जब सुबह जल्दी उठता हूं, तो फिर नास्ता करने के बाद सोचता हूं, कि अब आगे क्या करूं और जब दोपहर में उठता हूं, तब खाना खाने के बाद सोचता हूं, सुबह उठ कर योगा करता। बस इतनी सी है हमारी दुनिया मोबाइल,खाना, पिना और सोना। इतनी-सी दुनिया में फंस कर रह गया हूं। कुछ दिन तक तो कहानी किस्से लिखकर व्यस्त रहता था । अब तो इतने दिनों में कोई कहानी भी नहीं बची जिसको लिख सकूं। कभी-कभी तो लगता है, नर्क में हूं जहां पछतावे से हमें मारा जा रहा है। आज जब बारिश का आनंद ल