बारिश की बूंदें और पुरानी यादें- A Diary of Past and Present

बारिश की बूंदें और पुरानी यादें
A Diary of Past and Present
A Diary of Past and Present

दोपहर के 2:00 बज रहे थे कि अचानक ठंडी-ठंडी हवाऐं चलने लगी। धीरे - धीरे थोड़ी देर बाद बारिश भी होने लगी।
मध्यम-मध्यम ये बारिश देख कर मजा आ गया। कितनी हसीन थी करोना से पहले की दुनिया।

ये बारिश ही तो है, अभी जो हमें थोड़ी मनोरंजन करती है, वरना दिन भर मोबाइल में मनोरंजन की चीजें ढूंढ़नी पड़ती है, अब तो इतना मोबाइल भी इस्तेमाल कर लिया है कि आंखों में दर्द होने लगी है।

53 दिन हो गए लाॅक डाउन किए हुए इतने दिनों से घर में रहकर अब मानसिक संतुलन भी खराब होने की कगार में है।

जब सुबह जल्दी उठता हूं, तो फिर नास्ता करने के बाद सोचता हूं, कि अब आगे क्या करूं और जब दोपहर में उठता हूं, तब खाना खाने के बाद सोचता हूं, सुबह उठ कर योगा करता।

बस इतनी सी है हमारी दुनिया मोबाइल,खाना, पिना और सोना। इतनी-सी दुनिया में फंस कर रह गया हूं। कुछ दिन तक तो कहानी किस्से लिखकर व्यस्त रहता था । अब तो इतने दिनों में कोई कहानी भी नहीं बची जिसको लिख सकूं।

कभी-कभी तो लगता है, नर्क में हूं जहां पछतावे से हमें मारा जा रहा है।

आज जब बारिश का आनंद ले रहा था तभी पिछले साल की याद आ गई। जब मैं काॅलेज से निकलने के बाद बारिश में भींग कर बारिश का मजा ले रहा था।

कितने हसीन पल थे वो जब काॅलेज के बाद हम सभी दोस्त शाम में पार्टी किया करते थे, और रात में बाहर घूमने जाया करते थे। इस तरह पुरे शहर घुमा करते थे। तब सोचा नहीं था कि ऐसा भी दिन देखना पड़ेगा।

अब दोबारा हम दोस्तों के साथ कब पार्टी करेंगे और उनसे कब मिलेंगे बस इसी का इंतजार रहता है अब।
कितनी सारी यादें हैं पुरानी जब याद करता हूं, तब मन ही मन खुश हो जाता हूं।

किसी से न मिल पाना महिनों तक घर में एक ही जगह रहना ऐसा अनुभव होता है मानों किसी अंतरिक्ष यान में हो और रास्ता भटक गए हैं। हर रोज़ बस यह उम्मीद करना कि एक दिन पृथ्वी वापस अपने घर जरूर जाएंगे।

कुछ लोगों में है उम्मीद जो हमें प्रकाश की ओर ले जाएंगे, जहां हम फिर से अपनी-अपनी दास्तान दोस्तों को सुनाएंगे।

वह खेत खलिहान शहर फिर से खिल उठेंगे। बस इतनी सी थी बारिश की बूंदें।

  • Author- Amit Rockz

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