Labour Day - मजदूर दिवस
Labour Day- मजदूर दिवस
1 मई मजदूर दिवस
मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
पुरा विश्व आज कोविड-19 जैसे महामारी से जुझ रहा है । सारा काम काज ठप है, फिर भी पुरा विश्व आराम से घर बैठे खाना खा रहा है। ये सब मुमकिन हो पाया तो सिर्फ मजदूरों की वजह से जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी।
फिर भी चंद अल्फाज पेश करूंगा।
जिधर भी नजरें घुमाई हर तरफ़ मजदूरों की मेहनत नजर आई
जिधर भी नजरें घुमाई हर तरफ़ मजदूरों की मेहनत नजर आई
कैसे शुक्रिया अदा करूं मैं उनका जिन्होंने
हमारी खुशी के लिए रोटी कपड़ा और मकान बना दी।
जब से ये दुनिया बनी है तब से श्रमिकों ने इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए अपनी जान लगा दी है। आज की हमारी ये दुनिया कितनी आसान है जैसे ही कहीं जाना हो तुरंत गाड़ी स्टाट की और निकल गए। लेकिन हम इतनी आसानी से कहीं जा पाएं उसके लिए मजदूर दिन रात कारखानों में काम करते हैं। कितनी महान बात है कि मजदूर हर तरह अपने द्वारा बनाए हुए चीज़ों को देखता है और वह अपनी तारीफ भी नहीं करता। इसलिए तो हमारी दुनिया में इतनी अच्छाई है।
बात प्राचीन काल की हो या 21वीं सदी की श्रमिकों ने हर तरह झंडे गाड़े हैं। खुबसूरती पे हक है उनका जैसे भारत का ताजमहल युगों-युगों तक दुनिया देख रही है कि मजदूरों ने कितनी खुबसूरती से इसे बनाया था। अन्य देशों की बात की जाए तो इजिप्ट का पीरामिड कितना खुबसूरत है। क्या नहीं बनाते हमारे दुनिया के मजदूर ।
दुनिया में कुछ मजदूर गरीब जरूर होते है लेकिन हर पल वे खुशी से जीते हैं। न कुछ खोने का डर न कुछ पाने का मोह।
ग्रामीण इलाके भले ही उतने ज्यादा विकसित नहीं होते लेकिन वहां की हवा में ताजगी होती है। वहां के लोग कम बिमार होते है। आपसी भाईचारा, एक-दूसरे की मदद करना ये सारी चीजें हमारे श्रमिक ही तो हमें सिखातें है।
बुद्धिमान लोग सिर्फ एक चीजें बनाते है जबकि मजदूर दुनिया की हर चीजें बनाते हैं। प्रकृति और मजदूर हमेशा एक-दूसरे को बेहतर बनाते हैं। भारत के हर राज्य में बहुत से ऐसे उदाहरण है जिन्हें देखने के बाद लगता है। प्रकृति और श्रमिकों में कितना प्रेम है। भारत के ज्यादा राज्य पहाड़ी इलाके हैं, और उन पहाड़ी इलाकों में हम देख सकते है कि वहां के निवासी प्रकृति को बहुत ज्यादा बचाते है और प्रकृती भी उन्हें कितने बिमारियों से बचाती है। जैसे आज जिस महामारी से इंसान गुजर रहा है वैसे में इंसान शहर छोड़कर गांव की तरफ भाग रहा है। गांव के निवासी एकदम आराम से जीवन जी रहे हैं।
यहां शहरों में हमेशा डर बना रहता है कि कहीं महामारी के चपेट में न आ जाए। कहीं भी जाओ तो मास्क लगा कर जाना पड़ता है। लेकिन ऐसे हालात में भी मजदूर हमारी कितनी मदद कर रहे हैं। हमें गांवों से सब्जियां भेज रहे हैं। हर जरूरत की चीजें उपलब्ध करा रहें हैं। हमें शहरों में पानी भी खरीद कर पीनी पड़ती है और वो अपनी जान जोखिम में डालकर हमें पानी भी पहुंचा रहे हैं।
हर कोई अपनी योगदान दे रहा है। आज कितनी जानें दांव पर लगी है। लेकिन फिर भी पुरी दुनिया एकजुट होकर इस परेशानी से निकलने का उपाय ढूंढ रहे हैं। भले ही अभी दुनिया में अंधेरा है लेकिन एक दिन उजाला भी होगा।
दुनिया के हर मजदूर को सलाम।
बुद्धिमान लोग सिर्फ एक चीजें बनाते है जबकि मजदूर दुनिया की हर चीजें बनाते हैं। प्रकृति और मजदूर हमेशा एक-दूसरे को बेहतर बनाते हैं। भारत के हर राज्य में बहुत से ऐसे उदाहरण है जिन्हें देखने के बाद लगता है। प्रकृति और श्रमिकों में कितना प्रेम है। भारत के ज्यादा राज्य पहाड़ी इलाके हैं, और उन पहाड़ी इलाकों में हम देख सकते है कि वहां के निवासी प्रकृति को बहुत ज्यादा बचाते है और प्रकृती भी उन्हें कितने बिमारियों से बचाती है। जैसे आज जिस महामारी से इंसान गुजर रहा है वैसे में इंसान शहर छोड़कर गांव की तरफ भाग रहा है। गांव के निवासी एकदम आराम से जीवन जी रहे हैं।
यहां शहरों में हमेशा डर बना रहता है कि कहीं महामारी के चपेट में न आ जाए। कहीं भी जाओ तो मास्क लगा कर जाना पड़ता है। लेकिन ऐसे हालात में भी मजदूर हमारी कितनी मदद कर रहे हैं। हमें गांवों से सब्जियां भेज रहे हैं। हर जरूरत की चीजें उपलब्ध करा रहें हैं। हमें शहरों में पानी भी खरीद कर पीनी पड़ती है और वो अपनी जान जोखिम में डालकर हमें पानी भी पहुंचा रहे हैं।
हर कोई अपनी योगदान दे रहा है। आज कितनी जानें दांव पर लगी है। लेकिन फिर भी पुरी दुनिया एकजुट होकर इस परेशानी से निकलने का उपाय ढूंढ रहे हैं। भले ही अभी दुनिया में अंधेरा है लेकिन एक दिन उजाला भी होगा।
दुनिया के हर मजदूर को सलाम।
- Author - Amit Rockz
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