Pandemic in a village - Pandemic story
Pandemic in a village गांव की बात ही अलग है, इस महामारी में सबसे ज्यादा सुरक्षित गांव वाले ही थे, लेकिन धीरे-धीरे महामारी गांव में भी फैलने लगी। कई महीनों से गांव में रहते - रहते थक गया था। इससे पहले कभी इतनी लम्बी छुट्टी पर नहीं रहा था। हर रोज बस एक ही रूटीन फोलो करके काफी थक गया था। लिखना तो बहुत कुछ चाहता था। ऐसी - ऐसी कहानियां लिखना चाहता था कि सबका रिकोर्ड तोड़ दूं, लेकिन अब इतने महीने घर में रहने के कारण कोई शब्द ही नहीं मिल रहे थे। ये सच और महामारी ऐसा था मानो जैसे मैं शहर से लोगों से बचकर मैं किसी आईलैंड में छिपा हूं। उस आईलैंड से मैं बाहर नहीं निकल सकता और अगर गलती से भी निकलने की कोशिश की तो वायरस की चपेट में आकर मेरी दर्दनाक मौत भी हो सकती है। अप्रैल 2020 तक शहर के आदमी एक-दूसरे से डरते थे, लेकिन 22 जुलाई 2020 तक गांव में वायरस पहुंचने लगा था। हर रोज इस वायरस से हजारों लोग मर रहे थे। डर चारों तरफ था, अब तो गांव में भी लोगों को एक-दूसरे से खतरा ही था। क्या करें और क्या नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था। किसान और खेती जुलाई में किसान खेती बाड़ी शुरू कर देते हैं। कुछ दिन तक तो