The Last Man - Friendship Day Special, Thriller Story
The Last Man |
जब किस्मत आपके साथ हो तो आप कुछ भी कर सकते हो।
Germany - The Black Forest
जर्मनी का ब्लैक फ़ॉरेस्ट काफी बड़ा है , अगर यहां आपको रहने का सही हुनूर मालूम ना हो तो आप एक दिन भी ज़िंदा नहीं रह सकते। हम यहां जाने वाले थे। सारी तैयारी से हम सुबह में निकले हमारी पूरी टीम इस दौरान हमे बाहर से कोई नहीं मदद नहीं मिलने वाली थी। जब हम लोग जंगल में घुसे तो लग नहीं रहा था की इतना डरावना हो सकता है जंगल शुरू - शुरू में काफी मज़ा आता है।
इस तरह पुरे एक दिन सफर करने के बाद हम लोग जंगल में काफी अंदर आ गए थे। शाम होने से पहले हम लोग टेंट लगा कर खाना ढूंढने निकल जाते थे। अन्यथा रात जंगल में तुरंत हो जाती है और आपको पता भी नहीं चलता और रात में जंगल में घूमना मौत को नेवता देने के बराबर है। इस जंगल का नाम ब्लैक फ़ॉरेस्ट क्यों पड़ा हमने सायद ठीक से रिसर्च नहीं किया था। यहां सूर्य की किरण धरती पर नहीं पड़ती। जिससे यह जंगल और डरावनी हो जाती है।
रात का सफर कटने के बाद अगले दिन सुबह हम सफर में निकले। आधे दिन चलने के बाद सबको भूख लगने लगी सामने से झरने की आवाज आ रही थी। फिर सबने तय किया की झरने के उस पार जाकर हम कैंप लगाएंगे। धीरे - धीरे हम उस झरने को पार कर रहे थे। 7 - 8 लोग पार कर चुके थे की एक आदमी का पैर फिसल गया और वह सीधे 150 फुट नीचे पत्थर में जा गिरा और उससे उसकी वही मौत हो जाती है , पानी के तेज बहाव के साथ वह भी बहने लगा न हम उसे बचा सकते थे न कुछ कर सकते थे। सब के सब बस चिला रहे थे। पानी के साथ वह कहा बह कर चला गया पता तक नहीं चला। सभी शांत होने के बाद हमने बहुत दूर तक उसे ढूंढा पर वह नहीं मिला।
उसे ढूंढते - ढूंढते हम रास्ता भटक जाते है। उसके बाद हम कैंप लगाते है और वही रुक जाते है , किसे ने कुछ नहीं खाया होता है। रात के समय में एक सदस्य को भूख लग जाती है, और वह बिना किसी को बताय खाना ढूंढने निकल जाता है। सुबह जब हम सभी उठते है तभी उसकी गर्लफ्रेंड बोलती है , लक्समीनारायण नहीं है कहाँ गया? हम सभी आस - पास देखते है , तभी एक की नजर नदी के पास जाती है। जहाँ उसकी एक पैर पड़ी थी इससे बात साफ़ थी की उसे मगरमच्छ ने निगल लिया।
हमारे टीम के दो लोग मारे जा चुके थे , हम चाहे तो भी यहाँ से भाग नहीं सकते थे क्योँकि हम रास्ता भटक गए थे। पुरे एक दिन दक्षिण दिशा में चलते रहने के बाद हम ऐसे जगह पहुंच जाते है जहां चारों तरफ एक दम फ्रेश हवाएं थी। फल थे आराम से हमने एक जंगली सुवर का शिकार किया और खाकर सो गए। सब अपने अपने कैंप में सो गए। रात में अचानक जमीन खिसकी और लोग गढ़ों में गिरने लगे। मैं उनकी आवाज़े सुनके कैंप से निकला। और अपनी जान बचाने के लिए इधर -उधर भाग रहा था। की मेरी पैर पत्थर में पड़ी और मैं जा गिरा एक पेड़ मेरे पैर के ऊपर आ गिरा। मैं बचाओ - बचाओ चीला रहा था।
रात में आये भूकंप में सिर्फ दो ही लोग बचे थे मैं और जैकब। मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं थी लेकिन जैकब के चलते बच गया और जैकब किस्मत से उसकी आदत थी की वह पेड़ में झूला लगा कर सोता था। और किस्मत से उसने जिस पेड़ में झूला लगाया था वह पेड़ नहीं गिरा।
सुबह तक मैं वही पड़ा रहा दर्द में फिर जैकब सुबह उस पेड़ से निकलकर मेरे पास आया और वह अकेला उस पेड़ को हटा नहीं सकता था इसीलिए पेड़ को दोनों तरफ से काटकर मुझे निकाला।
सिर्फ हम दो ही बचे थे मैं चलने के हालत में नहीं था। जैकब मुझे ढ़ोकर चलता रहा कहीं रुक कर अकेले शिकार करता फिर हम पकाकर खाते। फिर चलते इस तरह हमें 25 दिन लगे जंगल से निकलने में। और एक दिन हमें सड़क मिल गई।
आज फ्रेंडशिप डे है और तभी मुझे जैकब की याद आई अगर वो नहीं होता तो मैं कितना दर्दनाक मौत मरता।
- Author - Amit Rockz
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