How Did Blogging Change the World

How Did Blogging Change the World

ब्लाॅगिंग ने दुनिया को कैसे बदल दिया? 
History of internet image
      History of internet

हमारी आज की दुनिया काफ़ी तेज़ हो चुकी है, लेकिन इसके पीछे बहुत बड़ी ऐतिहासिक घटना भी है। आज हर चीज़ आसान है, हमारी जिंदगी बहुत ही सरल हो गई है, और इन सब के पीछे टेक्नोलॉजी है। टेक्नोलॉजी ने हमारी दुनिया को एक नया मोड़ दे दिया है। हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो इन सब के बारे में नहीं जानते कि टेक्नोलॉजी से पहले की दुनिया कैसी थी?
  • क्या आपको मालूम है कि जिस पोस्ट को आप पढ़ रहे हैं, उसे कौन लिखता है या फिर गूगल के पास इतने सारे जवाब कैसे होते हैं?
आज हम इस लेेख में ब्लाॅगिंग से पहले की दुनिया को दर्शाने वाले हैं।

भारत सन् 2015

आज से 5साल पहले हमारी दुनिया ऐसी नहीं थी। हमारी दुनिया काफ़ी पीछे थी। उस वक्त हर किसी के पास इंटरनेट नहीं होता था। हमें जो भी चीज को जानना होता था, उसके लिए हमलोग कैफे जाया करते थे। कैफे वह जगह होती थी जहां ढ़ेर सारे कम्पयूटर होते थे, उस वक्त हमें 15 मिनट का 10रूपये किराया देना होता था, इन्टरनेट चलाने का, इन्टरनेट उस वक्त काफी महंगा होता था। 
जिसके घर में इन्टरनेट होता वह लोग अमीरों की सूची में आते थे।  अगर हमें कहीं फोन करना होता था तो हम उनके घरों में जाया करते थे जिनके घर टेलीफोन होता था। 2015 में हमारे पास स्किन टच मोबाइल तो होता था लेकिन उसमें उतना डेटा नहीं होता था कि हम यूट्यूब में विडियो देख सके। 

90 के दशक
उस वक्त इंटरनेट दुनिया में कदम रख रहा था। 90 के दशक में सिर्फ उन जगहों पर इन्टरनेट होता जहां बहुत ज्यादा जरूरी होती जैसे सरकारी दफ्तर, रिसर्च सेंटर । उस वक्त सिर्फ वही लोग इन्टरनेट में लिखा करते थे जिनके पास परमिट होती। उस वक्त तक इन्टरनेट सरकार के द्वारा ही चलाया जाता था। आम लोग इसका उपयोग तक नहीं कर सकते थे। 
समय बीतता गया और अब अमीरों की संख्या बढ़ने लगी। धीरे-धीरे वो लोग भी इन्टरनेट इस्तेमाल करने लगे जो लोग अमीर होते थे। कहा जाता है कि कोर्ट से सबको इंटरनेट छुट मिल गई थी इस्तेमाल करने का लेकिन इस बात का हमारे पास कोई पक्का सबूत नहीं है। 
सन् 2000 तक लगभग हर अमीर ब्यक्ति के पास इंटरनेट होता था। लेकिन मध्यम वर्ग और तीसरे वर्ग के पास अब भी  इन्टरनेट नहीं होता था कारण था कि उस वक्त इन्टरनेट महंगा ही था।  

सन् 2001 

इन्टरनेट अपनी चरम सीमा पर था, ये वो समय था जब हर तरफ इंटरनेट इस्तेमाल होना शुरू हो गया था। साथ में इंटरनेट में लिखने का भी सबको अधिकार मिल गया था। उस वक्त सिर्फ वही लोग इन्टरनेट में लिखते थे जिनके पास इंटरनेट होता था। इंटरनेट में समस्या यह थी कि अभी इंटरनेट के पास हर सवाल का जवाब नहीं होता था। उनके पास काम करने वालों की संख्या भी बहुत कम थी। 
लेकिन अब वक्त आ गया था कि इंटरनेट को और आगे बढ़ाया जाए।

सन् 2005
अब भी बहुत से लोगों को मालूम नहीं था कि इंटरनेट से भी पैसा कमाया जाता है। गूगल अब तक काफी बिकसित हो चुका था। मध्यमवर्गीय भी अब मोबाइल रखने लगे थे। गुगल ने 1998 में ही गुगल एडसेंस का निर्माण कर दिया था जिससे लोग लिखकर पैसा कमा सके और कुछ लोग कमा भी रहे थे। लेकिन यह बात बहुत से लोगों को मालूम नहीं थी। 
समय के साथ दुनिया काफ़ी तेज़ी से बदली और अब 20% लोग इंटरनेट से भी पैसा कमाने लगे। भारत इन मामलों में अब भी बहुत पीछे था। 

सन् 2010
अब इंटरनेट को हर कोई जानता था लेकिन इस्तेमाल करना मुश्किल था। गूगल में लेख लिखकर पैसा कमाने वालों की संख्या बढ़ने लगी लेकिन मुकाबला अब भी नहीं था। बड़े-बड़े प्राईवेट स्कूल में सिर्फ इन्टरनेट सेवा दी जाने लगी जिस वजह से बहुत बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने लगे। बिजनेस को इंटरनेट से काफ़ी फैदा हुआ । बड़े-बड़े बिजनेस इंटरनेट के दम पर अपना बिजनेस पुरी दुनिया में फैला रहे थे। ऐसे में इंटरनेट का बिजनेस भी बढ़ने लगा। अब नये - नये इन्टरनेट डेटा की सेवा देने के लिए सिम कार्ड आने लगे नये प्लान लेकर सबका बिजनेस काफी अच्छा चल रहा था लेकिन गरीब लोग इंटरनेट इस्तेमाल नहीं करने सक रहे थे। 
सन् 2015 
अब तक काफी इंटरनेट के डेटा की सेवा देने वाली कम्पनी खुल चुकी थी। लेकिन उस वक्त जियो इंडिया में कदम रख दिया और अब इसके प्लान के सामने सभी कम्पनी बंद होनी शुरू हो गई। तीसरे वर्ग के लोगों के पास भी अब इंटरनेट था।
गूगल का समय आ गया था जब गूगल का बिजनेस दो गुना अधिक बढ़ने वाला था। अब ब्लाॅगिंग की दुनिया में एक नया युद्ध शुरू होने को था। हर तरफ लोग इंटरनेट से जरूरी ज्ञान लेने लगे थे। अब भारत का बच्चा से लेकर बुढ़ा तक हर कोई इंटरनेट से पैसे कमाना चाहता था। लगभग 100 करोड़ लोग अब गूगल से पैसा कमाने के लिए तैयार हो रहे थे। ऐसे बिल्कुल ऐसा था मानो जैसे एक महायुद्ध होनी तय हो गई हो।

सन् 2018

भारत की जनसंख्या 133 करोड़ उसमें से अब 90 करोड़ लोग सिर्फ भारत से पैसा कमाना चाहते थे। लोगों के पास इंटरनेट काफी मात्रा में था। ब्लाॅगिंग और यूट्यूब पर मुकाबला बहुत तेजी से हो रहा था। 2015 तक लोग बहुत ही आसानी से पैसा कमाने सक रहे थे। क्यूंकि उस वक्त मुकाबला नहीं था और कुछ भी लिखों आसानी से रैंकिंग हो जाता था। लेकिन अब मुश्किलें बढ़ने लगी। कुछ लोग दिन-रात मेहनत करते फिर भी हाथ में कुछ नहीं आता तो वे लोग यूट्यूब पर वीडियो बनाने लग जाते हालांकि ब्लोॅगिंग में पैसा ज्यादा है यूट्यूब के मुकाबले लेकिन अगर इसमें पोस्ट रैंक नहीं करती तो फिर कब आएगी पैसा कहना मुश्किल है। 
भारत में हर कोई अब इंटरनेट इस्तेमाल करता है। इससे यह बात तो अस्पस्ट हो जाती है कि यहां पैसा ज्यादा है अन्य देशों के मुकाबले लेकिन यहां बहुत ज्यादा ब्लाॅगर और यूट्यूब आर्टिस्ट भी है जिससे पैसा भी बट जाता है। 
अगर आम भाषा में कहा जाए तो यहां मुकाबला टक्कर का होता है। यही चीज इंडिया को बनाती है और देशों से बेहतर ।
  • Author - Amit Rockz

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