जिंदगी को तेरी इंतजार - Hindi Love Story - Sasaplanet
जिंदगी को तेरी इंतजार
शहर से दूर हमारा एक छोटा सा गांव है, हमारे गांव का नाम वसुंधरा है। हमारे गांव के बुजुर्गो का कहना है हमारे गांव में एक परी का जन्म हुआ था उसी के नाम पर हमारे गांव का नाम वसुंधरा पड़ा। कहते है वसुंधरा का नाम सच्चे दिल से लो तो प्यार कि मनोकामना पूरी होती है। वसुंधरा एक प्रेम की देवी है उनका सदैव इस गांव पर नजर रहती है।
जिंदगी को तेरी इंतजार |
हमारे राज्य का नाम हिमाचल प्रदेश है, यहां हमेशा बारिश होती है, सेब की खेती बहुत ज्यादा होती है। शिमला का सेब काफी मशहूर है भारत में।
मैं 15 साल का था तब मेरे पिताजी ने मुझे शिमला भेज दिए पढ़ने के लिए, शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। दो साल शिमला में रहने के बाद मुझे यह शहर अच्छा लगने लगा। तीसरे साल मैंने काॅलेज में नाम लिखवाया।
मुझे पढ़ाई में बहुत मजा आ रहा था। इस तरह कब दो महीने बीत गए पता ही नहीं चला। एक दिन मैंने एक लड़की को देखा, वह मुझे देखी और मेरे अंदर एक अजीब सी खुशी चमक उठी। मन ही मन मैं उस दिन बहुत खुश था। मुझे नहीं मालूम था कि प्यार क्या होता है, लेकिन शायद मुझे जैसा अभी महसूस हो रहा है उसे ही प्यार कहते है।
अगले दिन मैंने उसे फिर से देखा वह अपने दोस्तों से बात कर रही थी। जब अचानक से उसने मेरी ओर देखी तो मैं खुशी से झूम उठा। इस तरह मै अब हर जगह खुश रहने लगा था। मुझे अब हर किसी की बातें अच्छी लगने लगी थी। पता नहीं कैसे लेकिन पहले मैं कभी इतना खुश नहीं रहता था।अब जिंदगी रोमांचक लगने लगी थी। मुझे खुद से प्यार होने लगा था।
ऐनक में मैं घंटों तैयार होकर बाहर जाता इस खुशी में की कहीं वह मुझे गलती से दिख जाएगी। समय बीतता गया और मैं उसे बस हर रोज़ काॅलेज में देखकर सिर्फ खुश रहता मैं कभी उससे बात करने की सोची भी नहीं। समय एक साल निकल गया था और मैं उससे बातें करना चाहता था। मैं उसे बताना चाहता था कि मैं क्या महसूस करता हूं। अब मुझे उससे बात करनी थी लेकिन उसके सामने जातें ही हिम्मत टूट जा रही थी।
कभी वह अकेले नहीं रहती थी, हमेशा वह अपने दोस्तों के साथ रहती थी। इस इंतजार में उसे कभी बोल पाऊंगा एक साल और बीत गया। समय के साथ - साथ मैं मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगने लगा। एक दिन मैंने एक ऐसी किताब पढ़ी जिसे पढ़कर मैं दंग रह गया। उस किताब में मेरे गांव वसुंधरा का जिक्र था और वह सारी बातें थी जो बुजुर्ग हमें बताते थे।
मैंने सोचा अगर ये कहानी, बातें अगर सच है तो मैं अपने गांव जाकर ज़रूर ये मनोकामना मांगूंगा की मै जिससे प्रेम करता हूं वह मुझे मिल जाए। मैं अपने गांव आया और यह मनोकामना भी मांगी।
समय को और शायद वसुंधरा को कुछ और ही मंजूर था। मेरी काॅलेज एक साल में खत्म हो गई और मैं कभी उसे अपनी दिल की बात बता नहीं सका।
दो साल बाद मैंने एक किताब लिखी , "सफलता पे है सबका हक" वह किताब बहुत बिकी और एक दिन मेरे घर की घंटी बजी और मैं जब दरवाजा खोला तब दंग रह गया। मेरे दरवाजे पर वही खड़ी थी। मैंने बोला आप वह बोली आप फिर मैंने बात को घूमाते हुए बोला जी बोलिए?
वह भी बात को घूमाते हुए बोली आप वही है ना जिन्होंने "सफलता पे है सबका हक" किताब लिखी है? मैं बोला जी हां। वह बोली आपकी किताब बहुत ही अच्छी है , मैं आपका इन्टरव्यू लेना चाहती हूं। मैं बोला ठीक है अंदर आइए , आपका स्वागत है, वह बोली थाक्यू।
वह मेरी इन्टरव्यू ली उसके बाद मैंने पूछा क्या आपको मालूम है , हम दोनों एक ही काॅलेज से पढ़ाई किए है? मुझे मालूम है वह बोली। आज मैं सारी बात बता देना चाहता था, मैंने कहा मैं आपको काॅलेज से ही एक बात बताना चाहता था लेकिन कभी बोल नहीं पाया।
वह बोली कहिए , मैं बोला उस वक्त मैं आपसे प्यार करता था लेकिन कभी बोल नहीं पाया। आज जाकर बोल पाया तो बोझ हल्का हुआ, मुझे नहीं मालूम कि आप क्या सोचती है या फिर आपकी शादी भी हो गई, मैं सिर्फ बताना चाहता था।
वह बोली मुझे मालूम थी सारी बात लेकिन उस वक्त मेरे घर का हालात ठीक नहीं थी, जिसके कारण मैं भी आपसे बात नहीं कर पाई, और अगर उस वक्त मैं भी आपसे प्यार करने लग जाती तो शायद आज न आप इस मुकाम पे होते न मै । आज मैं खुद की एक कंपनी बनाई हूं ये सब प्यार की ही तो एक कुर्बानी है। मैंने शादी भी नहीं की है।
मैं खुश होकर बोला क्या आप मुझसे शादी करोगी? वह बोली हमें थोड़ी पहले एक दूसरे को और जान लेनी चाहिए। मैं बोला ठीक है आप अपना समय लीजिए ।
6 महीने बाद हमारी शादी हो गई। आज मैं सोचता हूं क्या ये सब प्यार की देवी वसुंधरा का कमाल है, या फिर मेरी इंतजार का या फिर मेरी सफलता का? जवाब चाहें जो भी हो मैं आज बहुत खुश हूं और साथ में वह भी।
- Author - Amit Rockz
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