प्रकृति का अभिशाप - An Article for Mother Nature

प्रकृति का अभिशाप

An Article for Mother Nature
Mother Nature

दुनिया 21वीं सदी में सबसे ज्यादा विकसित हुई है। इंसान अपने बदलाव में इतने ब्यस्त हो गए कि वे प्रकृति को भूल ही गए। अगर प्रकृति को सबसे ज्यादा नुकसान किसी सदी में हुआ है तो 21वीं सदी में। आज प्रकृति इतने गुस्से में है कि उसे रोक पाना काफी मुश्किल साबित हो रहा है। कोविड -19 जो महामारी का रूप ले चुकी है, इस महामारी से अब तक 1 लाख से ज्यादा जाने पुरे विश्व में हो चुकी है। अब भी ये महामारी रूकने का नाम नहीं ले रही है।

आखिर कब रूकेगी ये महामारी

13 अप्रैल 2020 आज मैं बहुत दिनों बाद यह लेख लिख रहा हूं। मैं बहुत उदास भी हूं, क्यूंकि अब - तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है। कहीं लोगों में डर है तो कहीं उम्मीद है। मौत तो एक दिन होनी ही है लेकिन आपतकाल मौत इससे लोगों में ईश्वर के प्रति विश्वास कम हो जाता है, लोगों से अपने आप से अपने लक्ष्य से लगभग हर चीज़ से भरोसा उठ जाता है। 
अगर जान है तो जहान है लेकिन है भी तो कैसे?
यहां तो न उम्मीद है ना सामाग्री एक - एक दिन सामाग्री कम होते जा रही है । 3 महीने बीत चुके हैं लेकिन अब और तेजी से मौत हो रही है। ऐसे में सिर्फ दुनिया भगवान भरोसे चल रही है। आप तब तक ऐसे हालात में जिन्दा रहेंगे जब तक आपके पास धन है। कहने को सब साथ है, लेकिन कोई साथ चलने को नहीं। 
हमारी बस ईश्वर प्रकृति मां से यही प्रार्थना है बस ये विनाश रोक दो मां हम इंसानों को माफ़ कर दो। 

प्रकृति मां हमें माफ़ करो

ईश्वर से अपनी गलती का माफ़ी मांगना बहुत आसान है लेकिन क्या हम सभी इंसान ये वादा कर सकते हैं कि अबसे हम प्रकृति को नुक्सान नहीं पहुंचाएंगे। हमें बस खुद को बदलना है बाकी दुनिया अपने आप बदल जाएगी। ये नुकसान जो हमने प्रकृति को हुई है आज हम इंसान अपनी जान देकर भी उसका भरपाई नहीं कर पा रहे। क्या ये हमारी इंसानियत की पहचान नहीं। आखिर कैसी है हमारी इंसानियत जिसका सौदा जान देकर भी हम नहीं चुका पा रहे। 
ईश्वर की भक्ति के नाम पर हम दूसरे जीवों को मार देते है क्या उन जीवों का ईश्वर की भक्ति का नाम जान देना है। आस्था के नाम पर हमने नदियों को बेहिसाब गंदा किया। 
हर रोज़ प्रकृति मां तड़पती रही और हम इंसान उसे अपनी सफलता समझ कर उसका विनाश करते रहे। अगर हम सभी प्रकृति मां के सामने अपने गुनाह कबूल कर लें तो शायद मरने से पहले हमारी आत्मा को शांति मिले।  आज मैं तो कल तुम सबको मरना है कब और कैसे मालूम नहीं। आज सिर्फ आज ही आपके पास समय है अपने गुनाह कबूल करने का।

  • Author - Amit Rockz

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