Natural Disaster - Hindi fiction Story 2020 - Sasaplanet

Coronovirus (Covid-19) से बाहर फंसे लोग।

Chapter -1
Srinagar
Natural Disaster Hindi fiction Story 2020
Natural Disaster story

2014 श्रीनगर दुनिया का स्वर्ग हर साल यहां करोड़ों लोग घूमने आते हैं।
आज से ठीक 6 साल पहले मैं अपने दोस्त मानसी के साथ श्रीनगर घूमने गया था। मैं उस वक्त ज्यादातर कहानीयां यात्रा में ही लिखा करता था। जगह - जगह जाकर अनुभव कर-कर ही मैं लिखता था। मानसी उत्तराखंड की रहने वाली थी। एक यात्रा में ही मेरी मुलाकात मानसी से हुई थी। उसके बाद ही हम अच्छे दोस्त बनें। मानसी भी एक लेखक ही थी।

हम दोनों ने एक साथ प्लान बनाया था श्रीनगर जाने का हम वहां 7 दिन रहकर वहां की सारी खूबसूरती को देखना चाहते थे। मैंने मानसी से कहा मैं सीधे तुमसे श्रीनगर में ही मिलता हूं, क्यूंकि मैं झारखंड का रहने वाला था। यहां से हवाई जहाज सीधे श्रीनगर के लिए नहीं मिलती इसलिए मैं पहले कोलकाता गया और वहां से फिर श्रीनगर। मुझसे पहले वह पहुंच गई थी तो वह मेरा एयरपोर्ट में इंतजार कर रही थी ‌ फिर हम एक होटल में गए।  एक दिन पुरी तरह आराम करने के बाद हम अगले दिन श्रीनगर के वादियों में घूमने निकले।

दो दिन तक हम दिनभर घूमते रहे। तीसरे दिन सुबह में ही हल्की - हल्की बारिश हम सुबह में बारिश का मजा लेते हुए चाय पी रहे थे। बारिश के जाने के बाद हमारा प्लान घूमने जाने का था लेकिन बारिश जा नहीं रहीं थीं। नहा कर नास्ता कर-कर हम तैयार होकर अपने होटल के बालकोनी में बारिश का जाने का इंतजार करते रहे और बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। 12 बज गए थे लेकिन बारिश जा नहीं रही थी। लगातार बादल गड़कने लगे और बारिश काफी होती रही।

दुसरी दिन भी बारिश होती रही और फिर टीवी में न्यूज़ आने लगें श्रीनगर में आई बाढ़ कई लोग बाढ़ में फंसे और मारे गए। मानसी को चिंता होने लगी अब हम कैसे जाएंगे। लेकिन अब भी हम सुरक्षित थे।
तीसरे दिन नदी का जलस्तर बढ़ने लगा और हम अपने होटल के सबसे उपर वाले कमरे में थे तो हमें सबकुछ दिख रहा था।
बाढ़ से टूटते घर लोगों की चीखें ।
हम लोगों को अपनी आंखों के सामने मरते देख रहे थे। मैं और मानसी इतने डर गए कि समझ नहीं आने लगा क्या करें।
चारों तरफ़ सिर्फ काले बादल गरजते हुए नजर आ रहे थे।
हमारे पास अब रास्ता खत्म हो चुका था। उस होटल में करीब 50-60 लोग थे।

हमारे पास बस दो ही उपाय थे पहली की हम यहां से बाहर निकल कर भागे और बाढ़ से तुरंत मरे और दूसरा की हम होटल में रह कर ठोड़ी देर में मरे।
मैं और मानसी ने दुसरे उपाय में रूक गए हम सोचे की अगर मरना ही है तो थोड़ी देर में मरेंगे और कुछ लोग भागने का सोचें लेकिन बाढ़ में उनकी गाड़ी फंस गई और वे बाढ़ में बह गए।
चौथा दिन हम खिड़की से नज़र लगाए बैठे हुए थे कि एक हेलिकॉप्टर दिखीं। आर्मी बचें हुए लोगों को निकाल रही थी। हम काफ़ी चिल्लाय वो हमें देख नहीं पा रहे थे। चार घंटे बाद दोपहर के दो बजे आर्मी ने हमें ढूंढ निकाला और फिर हमें बचाया गया।

आज भी जब मुझे यह बात याद आती है तो मैं डर जाता हूं ।
Salute है आर्मी को।

Chapter -2
दुनिया की सबसे बड़ी लोकडाउण

जब मैं श्रीनगर में फंसा था तो मैंने कसम ही खा लीं थीं की अब मुसीबत देखते ही सबसे पहले भागूंगा। लेकिन किस्मत में जो लिखा है होकर ही रहता है।
श्रीनगर में 6 साल पहले मेरे पास दो उपाय थे पहली की बाहर गए तो तुरंत मरोगे और नहीं गए तो थोड़ी बाद मरोगे।
आज मार्च 24 , 2020 Covid -19 से पूरी दुनिया ख़तरे में आ गई हैं। 12 हजार लोग मारें जा चुके हैं वायरस से ।
इटली जैसे देश शमशान बन चुके हैं। 176 देश बंद कर दिए गए है।
आर्थिक इस्थिति बिगड़ते जा रही है।
लोग घरों से बाहर नहीं निकल सकतें सरकार ने कर्फ्यू लगा दी है। कर्फ्यू लगने से हजारों लोग दूसरे - दूसरे जगह फंसे हुए हैं।

ऐसी हालत में कोई मदद नहीं मिल रही । श्रीनगर में हमारे पास जो हालात थे वो आज भी उसी तरह है मैं भी अन्य लोगों की तरह बाहर किसी दूसरे जगह फंसा हुआ हूं। हमारे पास दो ही ओप्सन है बाहर निकल कर तुरंत मरे और दूसरा की जहां है वहीं रूके और थोड़ी दिन बाद भूखमरी से मरे।

श्रीनगर की तरह मैंने पहले को ही माना मैं रुक रहा हूं। मृत्यु जब आनी ही है तो थोड़ी दिन बाद ही सही।
कुछ लोग वापस जा रहे हैं लेकिन राज्यों के सभी सीमाएं बंद है। सिर्फ एम्बुलेंस ही आ जा सकती है और खाद्य पदार्थ ।
लोगों को हर जगह अच्छे से चेकिंग की जा रही है। ऐसे में मैं रूक रहा हूं।
अगर मैं यहां से सुरक्षित निकला तो इस कहानी का भाग -3 अवश्य लिखूंगा।

  • Author - Amit Rockz
  • ये कहानी एक मात्र काल्पनिक है, इसका सच से कोई वास्तविकता नहीं है, इस कहानी का फोटो अगर आप इस्तेमाल करते हैं और आप पर कोई कानूनी कार्रवाई होती है तो इसके ज़िम्मेदार आप होंगे , इसकी जिम्मेदारी Sasaplanet बिल्कुल भी नहीं लेगी।

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