How to Express Love

                          Chapter-3
84 Year's Old Retaired Professor

International library Ranchi
International library Ranchi India where I Met with 84 Year's Old Retaired professor

हर दिन एक नया सबेरा होता है और समय के साथ हमारा सोच भी बदलता है, क्योंकि हम सब एक बेहतर कल चाहते है।  कल क्या होगा हम नहीं जानते लेकिन हम सिर्फ आज इसीलिए मेहनत करते है ताकि कल हमारा भविष्य अच्छा हो। 
बदलते मौसम का आगाज हूँ मैं कल भी था आज भी हूँ और हमेशा रहूँगा क्योंकि मैं प्यार हूँ। 
टिक -टिक घड़ी और दिल दोनों एक जैसा ही चलते रहते है हमेशा। सुबह के तीन बजे थे और मेरी नींद खुल गई। कभी -कभी कल की चिंता में रात में नींद खुल जाती है और फिर नींद नहीं आती। इस उम्र में हर किसी को प्यार वाली बिमारी होती है, मुझे भी हो गया था।  लेकिन मेरी नींद इस बात पर नहीं खुली थी। मुझे चिंता थी भविष्य की इसलिए मेरी नींद खुल गई थी।  महीने भर छूटी होने के बाद एक दिन के लिए कॉलेज खुला लेकिन उसी दिन नोटिस आया की अगले चार दिनों तक कॉलेज में युथ फेस्टिवल होगा जिस कारन कॉलेज चार दिन बंद है इसमें मेरा दो नुक्सान हुआ पहला तो हमारा पढ़ाई बर्बाद हुआ और दूसरा मेरा प्यार को मुझसे ये कॉलेज वाले अलग कर दिए। दिल पे पत्थर रख कर मैंने यह नोटिस सुनी। फिर भी क्या कर सकते थे। 
मेरी जब तीन बजे नींद खुली तो मैं सोच रहा था की अगर मैं अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच पाया तो क्या ज़िंदगी भर पेपर ही बेचते रहेंगे , क्या होगा भविष्य ऐसी कई बातें मैं सोचता रहा और चार बज गए। अलार्म बजने लगा और मैं उठ कर पेपर लेकर बेचने के लिए निकल पड़ा। पेपर बेचकर आया तो सात बज गए थे। 
दो दिन तक मैं कहीं नहीं गया।  तेजू ने पूछा क्या हुआ भोपाली ? इतना चिंतित क्यों हो। बस ऐसे ही ।
10 दिन बाद
आज का दिन बहुत ही अच्छा था क्योंकि मैं आज काॅलेज जा रहा हूं। काफी खुश था।सोच रहा था, की दिन बाद आज मैं अपनी जानू को देखूंगा।
करीब 9 बजे होंगे जब मैंने उसको देखा। और वह भी मुझे देखी।
पहली बार ऐसा खुश होकर देखी। मतलब मज़ा आ गया था।
First picture of lover
First picture of lover

उस दिन मैंने उसकी एक फोटो खींची। फोटो साफ़ नहीं आया क्योंकि दूर से लिया था।
उस दिन मैं काफी खुश हुआ और लाइब्रेरी गया पढ़ने। जगह कम थी उस दिन सीट नहीं मिल रही थी। इसलिए जहां जगह मिला वहीं बैठ गया। 
थोड़ी देर बाद एक दादी आई धीरे- धीरे  और बोली आप लोग इधर बैठ गए हैं। मैं बुक कैसे निकालें।
मैं बोला हट जा रहा हूं आप निकाल लिजिए।
वह दो तीन नोबल बुक निकाली।
मैं पुछा आप नोबल पढ़ती है । उन्होंने कहा हां।
I'm 84 Year's Old Retaired Professor मैंने कहा वाह।
उस दादी को देख के मुझे भी जोश आ गया । वह दादी और उनके अंदाज दोनों रोयल लग रहे थे ।
मेरे मन में कई सारे सवाल थे पढ़ाई और भविष्य को लेकर लेकिन उस 84 साल की दादी से मिलकर उन्हें इस उम्र में भी पढ़ते देखकर सारे जवाब मिल गए।
जाने से पहले उन्होंने कहा मन लगाकर पढ़ो।
#Author-Amit Rockz

नोट -  यह कहानी एक मात्र काल्पनिक है इसका किसी भी  सच से या व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है अगर किसी व्यक्ति के जीवनी  से यह कहानी मिलती-जुलती है तो यह एकमात्र काल्पनिक होगी।
• यह कहानी हाउ टू एक्सप्रेस लव का तीसरा भाग है अगर आपने इसके दोनों भाग नहीं पढ़े हैं तो अवश्य पढ़ें कैटेगरी है इसका फिक्शन बुक में आपको इसके दोनों भाग मिल जाएंगे धन्यवाद।


Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Sad quotes about Life