The Hate City Back ,Fiction Story

The Hate City Back

परिचय 
प्रीति -ऑथर की गर्लफ्रेंड 
सुधीर -ऑथर का दोस्त 
शीतल -ऑथर की पत्नी 
The hate city back fiction book,the hate city back fiction story
The Hate City Back Fiction Story

सफ़र ये ज़िंदगी का है ,और हम चाह कर भी इससे मुँह नहीं मोड़ सकते। 
हम बस कोशिस कर सकते है इससे भागने  की  लेकिन वक़्त भागने नहीं देता। 

2008 मैं एक छोटी सी कंपनी में काम करता था ,मैं अपनी काम से खुश  था भले ही मुझे कम पैसे मिलते थे ,लेकिन मैं काफी खुश था। प्रीति मेरी गर्लफ्रेंड थी। मेरी इस छोटी से सैलरी से मेरा गुजरा अच्छे से चल जाता था ,लेकिन प्रीति को नहीं लगता था की इससे उसका गुजरा चल पायेगा ,इसीलिए वह हमेशा कहती कोई दूसरी काम देख लो। लेकिन मुझे नहीं लगता था की मुझे अपने काम को छोड़ना चाहिए था। और इसी बात पे हमलोगो की हमेशा लड़ाई होती। और मुझे लगता अगर आपमें किसी काम करने की लगन हो न तो आप किसी कंपनी को भी शिखर में ले जा सकते है। 

एक दिन 
एक दिन जब मैं ऑफिस से घर आया तो प्रीति का कॉल आया। उसने कहा मुझे घर से शादी करने के लिए लड़के देख रहे है ,मैं बोला यार बोल दो ना फिर हमारे इस रिश्ते के बारे में ,प्रीति बोली क्या बोलू की जनाब छोटी से कंपनी में काम करते है। यार मेरे घर वालो को ऐसा लड़का चाहिए जो सरकारी नौकरी करता हो ,उन्हें प्राइवेट लड़का नहीं चाहिए। इतना सुनकर मैंने फ़ोन रख दिया। और मैं सोच में डूब गया। क्या इंसान की वैल्यू आज इंसानो से ज्यादा हो गयी। मैं सोच में डूबा रहा। लेकिन इसका कोई सलूशन नजर नहीं आया। 

अगले दिन 
अगले दिन मैं प्रीति को कॉल किया और बोला मैं तुम्हारे घर वालो से बात करने तुम्हारे घर आ रहा हूँ। वह बोली अभी मैंने बोलै हां। और फिर कार निकाली और सीधे उसके घर गया और उसके पापा से मिला ,मैंने बोला अंकल मेरा नाम सुधीर है ,मैं एक कंपनी में जॉब करता हूँ और मैं प्रीति से शादी करना चाहता हूँ। उसके पापा ने बोला देखो बेटा वो सब तो ठीक है ,लेकिन हमे ऐसा लड़का चाहिए जो सरकारी नौकरी करता हो। हमे प्राइवेट नौकरी वाला लड़का नहीं चाहिए। मैंने कहा ठीक है अंकल जी कोई बात नहीं और फिर मैं ऑफिस चला गया। 

10 दिन बाद 
10 दिन के बाद प्रीति आई ,उसने कहा सुधीर मैं यहां तुमसे मिलने नहीं अपने शादी  का कार्ड देने आई हूँ ,मेरी शादी सेट हो गई है। मैं ख़ामोश रहा फिर वह चली गई। 8 दिन बाद शादी  थी। मैं अंदर से टूट गया था। फिर मैंने अपने स्कूल के दोस्त राकेश  को फ़ोन किया। राकेश मेरा स्कूल का दोस्त था और वह नशा  करने में p.hed किया था। और वह एक ब्लॉगर था ,ब्लॉग्गिंग से जो पैसे आते बस दारू पियो वरना पैसा फालतू वेस्ट हो जायेगा उसका ये मानना था। और देश -विदेश घूमना उसका पैशन। तो मैंने उसको फ़ोन किया मैंने पूछा कहा हो भाई दारू पीना है ,उसने कहा मेरे घर में आ जा। मैं गया और उस दिन बहुत दारू पिया। वह समझ गया था। जरूर दिल का मामला है। मैंने उसको सारी  बात बताई पीने  के बाद उसने कहा यार ये सब होते रहता है टेंशन मत लो। हमलोग शादी  में जायेंगे और पार्टी खाकर आएंगे ताकि उसको लग्न चाहिए ,तुम उसके बिना भी जी सकते हो। 

प्रीति के शादी के दिन 
अब वह दिन भी आ गया जब उसकी शादी  की दिन थी। सुबह ही मैंने राकेश को फ़ोन किया पूछा कहा हो भाई उसने कहा मैं दिल्ली में हूँ। बस फ्लाइट पकड़ कर 2 घंटे में फ्रेश तैयार होकर तेरे रूम में आता हूँ। शाम हुई राकेश पहुंच गया और हम दोनों ने पहले 2 -2  पैक मारे उसके बाद प्रीति के शादी में पहुँच गए। पिने के बाद आवाज फीलिंग सब दिल से आ रही थी ,लेकिन फिर मैं ख़ामोश रहा सोचा हटाओ यार जिसको मुझसे प्यार था उसको मेरी परवाह नहीं तो हम क्यू करे। प्रीति को कॉंग्रट्स किया और आराम से शादी  में पार्टी खाया और हम दोनों चल दिए अपने घर। 

दो दिन बाद 
प्रीति के शादी हुए दो दिन हो गए थे ,एक -दिन तक तो मैं गुस्से में थे तो कुछ पता नहीं चला। लेकिन अब धीरे -धीरे मुझे उसकी याद आने लग गई थी। अब मुझे किसी काम में मन नहीं लग रहा था। न ऑफिस में न खाने में मैं बस उसकी यादों में खोया रहने लगा। बार- बार उसका चेहरा मेरी नजरो में घूमता रहता। सुधीर मेरी हालत देखकर उसने मुझसे कहा यार मैं ऊंटी जा रहा हूँ। और तुम भी चलो वहाँ तुम्हे मन भी लग जायेगा। एक महीना मस्त रहेंगे मज़ा आ जायेगा ,तुम भी शायद अपनी मेहबूबा को भुला दो ऊंटी की हवा खाकर। मैंने कहा चलो यार। 

ऊंटी में मैंने टैलेंट को पहचाना 
हमलोग मस्त फ्लाइट पकड़ कर ऊंटी आ गए ,और एक महीने के लिए एक घर रेंट में  ले लिए  ,और सुधीर मुझे हर रोज़ नए -नए जगह घूमता। थोड़ी दिन उसके साथ रहने के बाद पता चला वह नयी जगह जाकर ब्लॉग्गिंग करता था ,वहाँ की खूबसूरती को अपने शब्दो में बया करता था वाक्य बहुत इंट्रेस्टिंग आर्टिकल लिखता था। और वह दारू फ़्रस्टेशन कम करने के लिए पिता था। लेकिन इस दौरान उसने मुझे बहुत कुछ सिखाया। उसके ब्लॉग्गिंग की वजह से मैं बहुत सारे  जगह घुमा ,असली जिंदगी तो वह जी रहा था। एक दिन वह मुझे एक चैरिटी में ले गया और वहाँ उसने पैसे भी दान किये। वाक्य मुझे बिश्वास नहीं हो रहा  था की सुधीर इतना अच्छा इंसान है। भाई ऊंटी  की हवा खाकर मुझमे कुछ बद्लाव आया या नहीं लेकिन राकेश के काम को देखर मुझमे बहुत मोटिवेशन आई। वह हर रोज़ एक नया आर्टिकल लिखता था। 

वापस अपने घर 
एक महीना ऊंटी में बिताने के बाद हम वापस आ गए। सुधीर बोला अगर फिर कहीं घूमने जाना होगा तो बस एक फ़ोन कर देना। एक महीने बाद वापस अपने ऑफिस गया। और काम करना शुरू किया ,मन से सुधीर की तरह हर रोज़ एक प्रोजेक्ट कम्पलीट करता और इस तरह 30 दिन में मैंने 30 प्रोजेक्ट कम्पलीट किये। बॉस मेरी काम से काफी खुश हुआ। कंपनी से इंस्पेक्शन के लिए आये ,और मेरे काम को देखकर मुझे काम के लिए कंपनी के हेड ने मुझे लंदन के कंपनी का सीईओ बनाने का निर्णय आया। 

लंदन 
और फिर क्या था मैंने तुरंत सुधीर को फ़ोन किया और कहा पासपोर्ट रेडी रखो हमे लंदन जाना है ,इस प्रमोशन से मेरे घर वाले काफी खुश थे। फिर हमने घर से बड़ो का आशीर्वाद लेकर मैं और राकेश लंदन निकल पड़े। लेकिन एक खाश बात थी सुधीर में वह चाहे कहीं भी रहे हर रोज़ एक आर्टिकल लिखकर पब्लिश करता। उसको इसीलिए तो कई इंटरनेशनल अवार्ड मिले थे।

अगली सुबह 
अगली सुबह मैं ऑफिस को ज्वाइन किया। और वहाँ भी मैं हर रोज़ सुधीर की तरह एक नया प्रोजेक्ट में काम करता और टीम वर्क के साथ एक प्रोजेक्ट कम्पलीट करता ,और इस तरह रोज़ एक नया प्रोजेक्ट कम्पलीट होने की वजह से कंपनी की सक्सेस रेश्यो काफ़ी हाई हो गया था। मेरी सैलरी अब आसमान छू रही थी। फिर मैंने अपनी एक खुद की कंपनी खोलने की सोची। लेकिन इससे पहले घर वालो का फ़ोन आया अब तुम्हे शादी करनी चाहिए। 
मुझे वापस वह शहर जाने का मन नहीं कर  रहा था ,कई  बार मैं घर वालो को मना करता रहा और एक दिन मैंने इस बिषय पर सुधीर से बात की वह बोला चलो आओ यार थोड़ा मेहबूब को भी देख लो। लेकिन मेरा मन नहीं माना मैं घर वालो को यह महीने में एक बार मिलने बुला लेता था इस वजह से मैं एक साल से घर इंडिया नहीं गया था। 

अपनी खुद की कंपनी बनाई 
फिर मैंने अपनी खुद की कंपनी खोली और पुरे वर्ल्ड में फैलाता चला गया ,ओर इस तरह 2 साल बीत गए। और घर वाले मुझे शादी करने का प्रेशर देने लगे तो मैं 2 साल बाद इंडिया वापस आया। घर वाले मेरे लिए पहले से लड़की देखकर रखे थे तो मैंने शादी  के लिए हां कर दी। और फिर मेरी शादी शीतल से हो गई। 

प्रीति से मुलाक़ात 
एक दिन मुझे बुलाया गया इंडिया में जो कंपनी था मेरा उसमे वहाँ एकाउंटेंसी  के लिए इंटरव्यू हो रहा था तो मैनेजर ने कहा सर आप यहाँ है तो आप ही एक अच्छा एकाउंटेंसी निकाल दीजिए  ने मैंने कहा ठीक है मैं कल आ जाऊंगा 10 बजे। ऑफिस में जब पहुँचा तो मैं हैरान रह गया क्योंकि वहाँ मैंने प्रीति को देखा साथ में उसके पापा भी आय हुए थे। मैंने पूछा तुम यहाँ कैसे उसने बताया मैं यहाँ इंटरव्यू देने आई हूँ। और आप कैसे प्रीति ने पूछा मैंने कहा ये कंपनी मेरी ही है। वह शोक रह गई। फिर इंटरव्यू मैंने लिया सबका और प्रीति का भी। मैंने प्रीति को एकाउंटेंसी के लिए रख लिया वैसे वहां और भी इंटेलीजेंट लोग थे। लेकिन मैंने प्यार के चलते एक बार और उसे मौका देने का सोचा। 
और फिर मैं अपनी पत्नी शीतल के साथ लंदन चला गया। सवाल तो बहुत थे पूछने को बहुत सारी बातें करने का सोचा था ,लेकिन वक़्त के साथ कुछ चीजे खत्म कर देना ही बेहतर होता है। एक महीने बाद उसका लेटर आया

प्रीति का लेटर 
 थैंक्यू सो मच हमारी परेशानी समझने के लिए आप एक महान इंसान हो जिसने हम गरीब की मदद की। वक़्त में मैंने आपकी परेशानी नहीं समझी लेकिन आज आप हमे देखकर ही हमारी परेशानी समझ गए। मुझे माफ़ करना और  थैंक्यू फॉर एवरीथिंग। 

ऑथर -टैलेंट सभी के पास होती है ,
बस हमे उसे पहचानने की देरी होती है। 

Written By Amit Rockz


नोट -मैंने कोट्स की पहली मोटिवेशनल वीडियो यूट्यूब में डाल दी है आप लोग लिंक के थ्रू डायरेक्ट जा सकते है और चैनल का नाम है Amit Rockz  sasaplanet का लोगो लगा हुआ है। 



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