The last day of earth

The last day of earth

साल 3019
मैं Shreyshi raj हूँ। और ये पृथ्वी का आखिरी दिन है।हमारी दुनिया खत्म होने को है,आधी दुनिया तबाह हो चुकी है।
The last day of earth
The last day of earth
लोग बाढ,सुनामी,भूकंप और पराबैंगनी किरण से तड़प- तड़प कर मर रहे है।इंसानो की एक दुनिया बस बची हुई है ,जो मंगल ग्रह मे बसायी गई थी।तबाही का मंजर खौफनाक होता है, जो सोने नही देता ,लेकिन ये तबाही इतनी खौफनाक है ।मानो की हम नर्क मे अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे है।
 हम तीन दिनो से लगातार इधर- उधर भाग रहे है,जमीने समुद्र बनते जा रहे है, लगभग हर दो -दो घंटे  मे भूकंप आ रहा है।हमलोग किसी तरह  universe museum पहुंचे।यहाँ से हमने मंगल ग्रह मे सिग्नल भेजा है,बचाव के लिए उन्होंने बोला हम स्टेलाइट स्टेशन से बचाव दल को भेज रहे है।लेकिन हमे नही पता जब तक वे लोग पहुँचेंगे, तब तक एक भी पृथ्वीवासी जिन्दा बचेंगे , इसकी कोई गारंटी नही है।
हमे कुदरत ने रहने के लिए घर दिया और हमने उन्ही को बर्बाद किया।सेकण्ड के हिसाब से पेड़ काटे पैसो के लिए ,रात दिन प्रदुषण फैलाया।शायद अब ये कुदरत हमसे बदला ले रही है।

अंत
हम इस वक्त यूनिवर्स म्यूजियम मे थे, लेकिन यहाँ अभी तुरंत भूकंप के झटके महसूस किए गए ।इसलिए हम यहाँ से निकल रहे है।
म्यूजियम से हमलोग एक घंटा पहले निकल कर दुसरी जगह आ गए।लेकिन हमारे पीछे वाले लोगों ने म्यूजियम से एक बस लेकर निकले थे ,लेकिन अचानक रास्ते मे जमीन फट गई, और बस धरती मे समा गई। अब हम सिर्फ चार लोग बचे है।
अब उम्मीद खत्म होते जा रही है, की हम बच पाएंगे।जब तक बचाव दल हमे लेने आएँगे, तब तक शायद हम खत्म हो चुके होंगे।

कितनी खूबसूरत थी दुनिया हमारी लेकिन इंसान के लालच ने इस दुनिया को मिटा दिया।कितना खूबसूरत था हमारा बचपन वो स्कूल, कॉलेज लेकिन अब सब अंत मे सिर्फ यादे ही है।सोचती हूँ एक पल के लिए वो समय मिल जाए।
अब बस बहुत हुआ अब मानव जाति का अंत ही सही लेकिन अब नही और भागना जीने की उम्मीद मे।

ना जाने कौन सा फरीश्ता हमे बचाने आएगा,
ना जाने कौन सा फरीश्ता हमे बचाने आएगा,
अब तो है, बस इतनी उम्मीद की तू जब तक आएगा
तब तक हमारी रूह भी ना बच पाएगी।
It's beginning
Part-1
Written by Amit Rockzz

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